Shiv Tandav Mp3 Free Download Sanskrit in High Quality Audio

Shiv Tandav Mp3 Free Download Sanskrit — Shiv Tandav is a hymn sung by Shankar Mahadevan, in dedication to Lord Shiva. Given below are the details for shiv tandav mp3 free download sanskrit along with the download link.

Lyrics of the Song

||सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम् ||

||श्रीगणेशाय नमः ||

जटाटवीगलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् |

डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||१||

जटाकटाहसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी, विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि |

धगद्धगद्धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ||२||

धराधरेन्द्रनंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस् फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे |

कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ||३||

लताभुजङ्गपिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे |

मदान्धसिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे दुरेमनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ||४||

सहस्रलोचनप्रभृत्य शेषलेखशेखर प्रसून धूलिधोरणी विधूस राङ्घ्रि पीठभूः |

भुजङ्गराजमालया निबद्ध जाटजूटक श्रियै चिरायजायतां चकोर बन्धुशेखरः ||५||

ललाट चत्वरज्वलद् धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम् |

सुधा मयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदे शिरोज टालमस्तु नः ||६||

करालभालपट्टिका धगद् धगद् धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुती कृतप्रचण्ड पञ्चसायके |

धराधरेन्द्रनन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम |||७||

नवीनमेघमण्डली निरुद् धदुर् धरस्फुरत्- कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः |

निलिम्पनिर्झरीधरस् तनोतु कृत्ति सिन्धुरः कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः ||८||

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्च कालिम प्रभा- वलम्बि कण्ठकन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम् |

स्मरच्छिदंपुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छि दांध कच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ||९||

अखर्वसर्वमङ्गला कला कदंब मञ्जरी रस प्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् |

स्मरान्तकंपुरान्तकंभवान्तकं मखान्तकं गजान्त कान्ध कान्त कं तमन्त कान्त कं भजे ||१०||

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस – द्विनिर्ग मत् क्रमस्फुरत् कराल भाल हव्यवाट् |

धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ||११||

स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्- – गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |

तृष्णारविन्दचक्षुषोःप्रजामहीमहेन्द्रयोः समप्रवृत्तिकः ( समं प्रवर्तयन्मनः) कदासदाशिवं भजे ||१२||

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् |

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ||१३||

इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् |

हरेगुरौसुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ||१४||

पूजावसानसमये दशवक्त्र गीतं यः शंभु पूजन परं पठति प्रदोषे |

तस्यस्थिरांरथगजेन्द्र तुरङ्ग युक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः ||१५||

इति श्रीरावण- कृतम् शिव- ताण्डव- स्तोत्रम् सम्पूर्णम्

Note:

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