ज़िंदगी एक किराए का घर है, एक ना एक दिन बदल ना पड़ेगा, ज़िंदगी एक किराए का घर है, एक ना एक दिन बदल ना पड़ेगा, मोत जब तुमको आवाज़ देगी, घर से बहार निकल ना पड़ेगा  ढेर मिट्टी का हर आदमी है बाद मरने के होना यही है, या ज़मीनो में तुरबत बनेगी या चिताओ में जलना पड़ेगा, ज़िंदगी एक किराए का घर है एक ना एक दिन बदल ना पड़ेगा  रात के बाद होगा सवेरा देखना है अगर दिन सुनेहरा, पाव फूलो पे रखने से पहले तुमको काटो पे चलना पड़ेगा, ज़िदगी एक किराए का घर है एक ना एक दिन बदल ना पड़ेगा  ऐतबार उनके वादो का मत कर वरना ए दिल मेरे ज़िंदगी भर, तुझको भी मोमबति की तरह कतरा कतरा पिघलना पड़ेगा, ज़िदगी एक किराए का घर है एक ना एक दिन बदल ना पड़ेगा  ये जवानी हैं पल भर का सपना ढूँढ ले कोई महबूब अपना, ये जवानी अगर ढाल गयी तो ऊम्र भर हाथ मलना पड़ेगा, ज़िदगी एक किराए का घर है एक ना एक दिन बदल ना पड़ेगा मोत जब तुमको आवाज़ देगी घर से बहार निकल ना पड़ेगा