Shiv Chalisa Mp3 Download Pagalworld in High Quality Audio
Shiv Chalisa Mp3 Download Pagalworld — Shiv Chalisa is a hymn dedicated to Lord Shiva and voiced by Shankar Mahadevan. Given below are the details for Shiv Chalisa Mp3 Download Pagalworld along with the download link.
- Music Label: Red Ribbon Ent Pvt Ltd
- Lyricist(s): Krishna Bhatta and Shri Raghvendra
- Musician(s): Srinivas Sarma
- Singer(s): Shankar Mahadevan
- Song Duration: 11:54 mins
Lyrics of the Song
Devanagari Font
श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa in Hindi)
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्या दास तुम, देहु अभय वरदान॥
जयगिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंगगौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खालबाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥1॥
मैनामातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
करत्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दिगणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिकश्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥2॥
देवनजबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥3॥
त्रिपुरासुरसन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदा हीं॥
वेदनाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥4॥
प्रगटउदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्हदया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजनरामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहसकमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥5॥
एककमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिनभक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जयजय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्टसकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥6॥
त्राहित्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लैत्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामीएक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥7॥
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुतिकेहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकरहो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥8॥
नमोनमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जोयह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियाजो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥9॥
पण्डितत्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशीब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्मजन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥10॥
कहेअयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
Note:
This song is available online on the below mentioned link:
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